नई न्यायिक व्यवस्था विकसित भारत के निर्माण में एक ऐतिहासिक कदम: कुलपति
आईजी बस्तर और पुलिस अधीक्षक बस्तर ने विद्यार्थियों को नए कानून से रूबरू करवाया
जगदलपुर inn24 (रविंद्र दास)1 जुलाई को देश में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम तीन नए कानून के रूप में प्रभावी हो गए। शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय बस्तर में इस मौके पर सोमवार को नए न्यायिक अधिनियम 2023 पर व्याख्यान और कार्यशाला का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के अकादमिक भवन में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बस्तर रेंज के आईजी श्री पी. सुंदरराज मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार श्रीवास्तव ने की। विशिष्ठ अतिथि और मुख्य वक्ता बस्तर पुलिस अधीक्षक श्री शलभ कुमार सिन्हा थे। कार्यक्रम की शुरुआत में कार्यक्रम के समन्वयक प्रोफेसर डॉॅ. स्वपन कुमार कोले ने अतिथियों का परिचय दिया। वहीं सह समन्वयक डॉ. आनंद मूर्ति मिश्रा ने कार्यक्रम की रूप रेखा प्रस्तुत करते हुए तीन नए कानून की आवश्यकता के संबंध में संक्षिप्त जानकारी दी। सर्वप्रथम कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार श्रीवास्तव ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि नई न्यायिक व्यवस्था विकसित भारत के निर्माण में एक ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने आगे कहा कि १६३ वर्ष पुराना कानून आज बदलने जा रहा है। भारतीय दंड संहिता अब भारतीय न्याय संहिता बन चुका है। इससे स्पष्ट है कि अब दंड नहीं न्याय आधारित कानून पर काम किया जाएगा। यह पल संर्पूर्ण भारत के लिए अत्यंत सुखद अनुभति वाला है। नए कानून पर ४ से ५ साल पहले प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में काम शुरू किया गया। अंग्रेजों ने अपनी सुविधा के अनुसार कानून बनाए थे जिनका बदलना बहुत जरूरी था। भारत के संविधान और कानून में तालमेल पहले नहीं था लेकिन अब यह संभव हो पाएगा। कुल 475 कानून बदले जा रहे हैं। अंग्रेजों की मानसिकता हमें गुलाम बनाने की थी उसी आधार पर उन्होंने कानून भी तैयार किया था लेकिन अब हम नए कानून के तहत दंड से न्याय की ओर बढ़ रहे हैं। इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जानना चाहिए और इसे लेकर जागरूक बनना चाहिए जब तक सभी लोग नए कानून के बारे में नहीं जानेंगे तब तक अपनी शक्ति को नहीं समझ पाएंगे इसलिए कानूनों का अध्ययन जरूरी है। कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि और मुख्य वक्ता बस्तर पुलिस अधीक्षक श्री शलभ कुमार सिन्हा ने तीनों कानूनों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अब दंड संहिता न्याय संहिता के रूप में जानी जाएगी। उन्होंने कहा कि नया कानून न्याय आधारित है। अंग्र्रेजों ने एक समान कानून बनाते हुए हम पर ऐसे कानून थोपे जो उनके हित में थे। अब जो कानून प्रभावी हो रहा है वह नागरिक आधारित है। नए कानून में साक्ष्य को भी प्राथमिकता दी गई है। इसलिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम बनाया गया है। अब साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ संभव नहीं होगी। पीडि़त के बयान की अब वीडियो ग्राफी होगी। साथ ही उन्होंने बताया कि अब एफआईआर डिजिटली सोशल मीडिया से भी हो जाएगी। बस तीन दिन के अंदर थाने आकर एक हस्ताक्षर करना होगा और शिकायत पर कार्रवाई शुरू हो जाएगी। इसके अलावा उन्होंने बताया कि महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध के मामले में भी त्वरित न्याय दिलाने के लिए कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। अब पहली बार अगर कोई छोटा अपराध किया जाता है तो समाज की सेवा का अवसर सजा के रूप में दिया जाएगा। यह एक बड़ा बदलाव है। अब जेल भेजने की जगह सुधार का अवसर देने पर जोर दिया जा रहा है। सामूहिक बलात्कार जैसे संगीन अपराध में अब मृत्यु दंड तक का प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया कि पहले शिकायत के बाद जांच में विलंब होता था अब ऐसा नहीं होगा। कोर्ट पर भी अब दबाव होगा कि वह समय पर पीडि़त को न्याय मुहैया करवाए। एसपी श्री सिन्हा ने कहा कि नए कानून में शिकायतकर्ता से लेकर पुलिस और कोर्ट तक को बदलावों से गुजरना होगा। बदलाव सकारात्मक हैं जिनके सुखद परिणाम भविष्य में नजर आएंगे। संबोधन के अगले क्रम में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बस्तर आईजी श्री पी.सुंदरराज ने कहा कि नए कानून के बारे में एक दिन में जानना संभव नहीं है। सभी लोग इस पर लगातार अध्ययन करें। सोशल मीडिया में इससे जुड़ी बहुत सी जानकारी हैं उसे पढ़ें, देखें। एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है जिसके सकारात्मक नतीजे सामने आएंगे। दंड पर नहीं अब न्याय पर जोर है। उन्होंने कार्यक्रम के दौरान छात्रों को अपने अधिकारों के प्रति भी सजग रहने कहा। साथ ही साइबर अपराध व अन्य अपराधों को लेकर भी जागरूक बनने कहा। उन्होंने कहा कि बस्तर का बीते पांच वर्षों में बहुत विकास हुआ है। अब बस्तर के लोग फ्लाइट में बैठ पा रहे हैं। यह पहले संभव नहीं था। इन्हीं बदलावों के बीच अब कानून भी बदला है तो इसे सहज रूप से स्वीकारें और उनका अध्ययन करें। कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री अभिषेक बाजपेयी ने आभार प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रानी मैथ्यू ने किया। इस दौरान प्रोफेसर डॉ. शरद नेमा, डॉ. स्वपन कुमार कोले, डॉ. आनंद मूर्ति मिश्रा, डॉ. विनोद कुमार सोनी, डॉ. सुकृता तिर्की, डॉ. सजीवन कुमार समेत विश्वविद्यालय के अन्य विभागों के शिक्षकगण व विद्यार्थी मौजूद रहे।